इस लेख में हम जातिवाचक संज्ञा की परिभाषा, भेद, तथा उदाहरण का अध्ययन करेंगे और हर एक चीज को बारीकी से समझेंगे।
हमने आ पर आसान और मुश्किल दोनों तरीके के उदाहरण डाले हैं जिससे कि विद्यार्थी को समझने में आसानी हो। और अगर आपको तब भी इस लेख को पढ़ने के बाद किसी प्रकार की समस्या होती है तो आप कमेंट बॉक्स में अपने सवाल पूछ सकते हैं। उनके जवाब अवश्य दिए जाएंगे।
जातिवाचक संज्ञा समझने से पहले हम यह समझते हैं कि संज्ञा क्या होती है? इसका जवाब है की संज्ञा को साधारण शब्दों में नाम का जाता है। किसी प्राणी, वस्तु, स्थान, भाव आदि का नाम ही उसकी संज्ञा कही जाती है।
संज्ञा के तीन भेद होते हैं जिनके नाम है व्यक्तिवाचक, जातिवाचक तथा भाववाचक।
आज हम उन्हीं में से एक जातिवाचक का अध्ययन करेंगे।
जातिवाचक संज्ञा
परिभाषा:- जो संज्ञा शब्द विशेष व्यक्ति, प्राणी, स्थान एवं विशेष वस्तु का बोध नहीं कराते परंतु एक ही जाति के विभिन्न व्यक्तियों, प्राणियों तथा वस्तुओं का बोध कराते हैं उन्हें हम जातिवाचक संज्ञा कहते हैं।
जैसे – मनुष्य, वकील, पशु, लेखक, खिलाड़ी, शहर।
उदाहरण में दिए गए सभी शब्द विशेष व्यक्ति, प्राणी, स्थान एवं विशेष वस्तु का बोध ना करा कर एक ही जाति के वस्तुओं का बोध करा रहे हैं।
जातिवाचक संज्ञा के भेद
जातिवाचक संज्ञा के दो भेद होते हैं जिनके नाम है
द्रव्यवाचक
समूहवाचक
द्रव्यवाचक संज्ञा
परिभाषा:- जो संज्ञा शब्द हमें किसी द्रव्य अर्थात पदार्थ या धातु का बोध कराते हो उन्हें हम द्रव्यवाचक संज्ञा कहते हैं।
जैसे कि – लोहा, सोना, तांबा, चावल, लकड़ी आदि।
उदाहरण
१. यह दरवाजा लोहे का बना है।
इस उदाहरण में लोहा शब्द द्रव्यवाचक संज्ञा शब्द का बोध कराता है क्योंकि वह एक पदार्थ है।
२. राजा को सोने से तौला गया।
३. उस लड़की को चांदी के गहने बहुत पसंद है।
४. जापान में लकड़ी के घर बनाए जाते हैं।
५. बाजार से दो किलो गेहूं ले आओ।
इन सभी उदाहरण में जो शब्द मोटे अक्षरों में लिखे हैं जैसे कि लोहे, सोने, चांदी, लकड़ी, यह सभी शब्द संज्ञा का बोध कराते हैं क्योंकि यह सभी पदार्थ है। जब भी किसी वस्तु का इस्तेमाल किसी चीज को बनाने में किया जाता है तो वह वस्तु द्रव्यवाचक संज्ञा को दर्शाती है।
समूहवाचक संज्ञा
परिभाषा:- जो संज्ञा शब्द हमें किसी समूह या समुदाय का बोध कराते हैं उन्हें समूहवाचक संज्ञा कहते हैं।
जैसे कि समिति, परिवार, भीड़, कक्षा, सेना आदि।
उदाहरण
१. चंद्रगुप्त मौर्य की सेना बहुत बहादुर थी।
इस उदाहरण में सेना शब्द समूह वाचक संज्ञा का बोध कराता है क्योंकि सेना एक समूह है जिसमें बहुत सारे व्यक्ति एक काम के लिए शामिल हुए हैं। जिसके कारण व्यक्तियों का समूह बन गया है और इसलिए यह जातिवाचक भी है और समूहवाचक संज्ञा भी।
२. कॉलोनी में गड्ढा भरने के लिए समिति का आयोजन किया गया।
इस उदाहरण में समूहवाचक संज्ञा इसलिए है क्योंकि समिति कई लोगों के मिलने से बनती है। जब बहुत सारे लोग किसी एक काम के लिए इकट्ठा होते हैं तो वह समिति बनाते हैं। यह एक समूह भी है इसलिए यह समूहवाचक संज्ञा है।
३. पुलिस का काम जनता की रक्षा करना है।
४. देखते ही देखते वहां पर भीड़ इकट्ठा हो गई।
५. मुझे एक अच्छा वकील बनना है।
हमने ऊपर कई सारे उदाहरण देखें और जो सबसे मोटे अक्षरों में लिखे हैं जैसे कि सेना, समिति, पुलिस, भीड़, यह सभी शब्द हमें समूहवाचक संज्ञा का बोध कराते हैं क्योंकि इसमें बहुत सारे लोग शामिल होते हैं।
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निष्कर्ष
आज के इस लेख में हमने समझा कि जातिवाचक संज्ञा क्या होती है तथा इसके बहुत सारे उदाहरण भी पढ़े।
एक बार फिर से आपको याद दिला देते हैं कि हमने इसमें क्या क्या पढ़ा।
जातिवाचक संज्ञा वह शब्द होते हैं जिससे हमें एक ही जाति के विभिन्न व्यक्तियों प्राणियों तथा वस्तुओं का ज्ञात होता है। ‘इसको आगे दो भेदों में बांटा गया है जिनके नाम है द्रव्यवाचक संज्ञा तथा समूहवाचक संज्ञा।
द्रव्यवाचक में मुख्यतः वह शब्द आते हैं जिनसे हमें पदार्थ अथवा धातु का ज्ञान होता है
जैसे की लकड़ी सोना लोहाआदि।
वही समूहवाचक में हमें एक समूह का ज्ञात होता है जैसे कि सेना, वकील, आदि शब्द।
हम आशा करते हैं कि आपको जातिवाचक के विषय में सब कुछ समझ में आ गया होगा और आप परीक्षा में कोई भी प्रश्न आसानी से हल कर सकते हैं। अगर अब भी आपको किसी प्रकार की परेशानी इस विषय से जुड़ी महसूस होती है तो आप बेझिझक नीचे कमेंट बॉक्स में सवाल पूछ सकते हैं या फिर अपनी राय दे सकते हैं जिससे अन्य विद्यार्थियों की मदद हो सके।