जो रहीम उत्तम प्रकृति का अर्थ एवं व्याख्या

आज के इस लेख में रहीम का एक दोहा जो रहीम उत्तम प्रकृति …… का व्याख्या सहित विश्लेषण करेंगे तथा यह भी समझेंगे कि इस दोहे में विशेष क्या है।

जो रहीम उत्तम प्रकृति, का करि सकत कुसंग।

चंदन विष व्यापत नहीं, लिपटे रहत भुजंग॥

शब्दार्थ

  • कुसंग का अर्थ है कुसंगति ( गलत संगति )
  • भुजंग का अर्थ है सांप

जो रहीम उत्तम प्रकृति में अलंकार एवं व्याख्या

व्याख्या:- इस दोहे के माध्यम से रहीम कहना चाहते हैं कि जिस प्रकार चंदन के वृक्ष में सांप लिपटे हुए होते हैं और तब भी चंदन में विष नहीं पाया जाता उसी प्रकार जिस व्यक्ति का चरित्र अच्छा होता है एवं जो व्यक्ति अंदर से मजबूत है उसे गलत संगति भी नहीं बिगाड़ सकती।

चंदन सांप जैसे विषैले सांपों से लिपटे होने के बावजूद भी अच्छी खुशबू प्रदान करता है तथा चंदन का प्रयोग बहुत से शुभ कामों में किया जाता है। उसी प्रकार से एक अच्छे प्रकृति का व्यक्ति भी बुरे लोगों से घिरे रहने के बावजूद भी पवित्र रहता है एवं समाज के कल्याण के लिए कार्य करता है। उस व्यक्ति का उसी प्रकार से सम्मान किया जाता है जिस प्रकार से चंदन का किया जाता है।

हम जो रहीम उत्तम प्रकृति दोहे के माध्यम से एक सीख ले सकते हैं कि

१. कई बार ऐसा होता है कि हम अपने आसपास के लोगों को चुन नहीं सकते क्योंकि परिस्थितियां हमारे विपरीत होती है लेकिन तब भी अगर हम चाहे तो अंदर से मजबूत बने रह सकते हैं और अपने आप को कुसंगति के प्रभाव से बचा सकते हैं।

२. अगर आप इस दोहे को ध्यान से पढ़ेंगे तथा अंदर तक सोचने का प्रयास करेंगे तो आपको समझ में आएगा कि हर बार हमें बाहर के लोगों को बदलने की जरूरत नहीं होती बल्कि खुद को बदलने की होती है। अगर हम अपने आप को अंदर से ठीक तरीके से बदल ले तो हम पर बाहर के लोगों का प्रभाव नहीं होगा एवं हम समाज के लिए कुछ अच्छा कर पाएंगे।

माली आवत देखकर व्याख्या सहित

रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून कि व्याख्या

निष्कर्ष

आज के समय में इस दोहे की आवश्यकता बहुत ज्यादा है।

आज का समाज इस प्रकार से दूषित हो चुका है कि कोई भी व्यक्ति समाज में व्याप्त विष से बच नहीं पाता। छोटे-छोटे बच्चे गलत संगति में आकर अपना भविष्य बिगाड़ लेते हैं और जो सफलता के वह हकदार होते हैं वह उन्हें कभी प्राप्त नहीं होती। कई बार ऐसा भी होता है कि वह बच्चा आगे जाकर अन्य बच्चों को भी बिगड़ता है जैसे कि आपने सुना होगा कि एक मछली पूरे तालाब को गंदा कर देती है।

इस दोहे के माध्यम से हम इस समाज में सुधार कर सकते हैं तथा लोगों को जागरूक कर सकते हैं कि हमें अंदर से मजबूत बनना पड़ेगा और हमारे आसपास के उन लोगों को भी सुधारना पड़ेगा जो गलत रास्ते पर है। हमें छोटे-छोटे बच्चों को इस दोहे का महत्व बताना चाहिए तथा उन्हें यह समझाना चाहिए कि अपने आसपास के लोगों को वह बहुत ध्यान पूर्वक चुने अगर वह ऐसा नहीं कर सकते तो अपने आप को अंदर से इतना दृढ़ संकल्प भी रखें कि उन पर किसी बुरे व्यक्ति के बातों का कोई असर ना हो।

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