रूठे सुजन मनाइए, जो रूठे सौ बार।
रहिमन फिरि-फिर पोहिए, टूटे मुक्ताहार॥
शब्दार्थ
सुजन = अच्छे लोग
पोहिए = जोड़िए
इस दोहे की रचना करने वाले = रहीम
रूठे सुजन मनाइए दोहे की व्याख्या
यह दोहा रहीम द्वारा निर्मित है।
इस दोहे के माध्यम से रहीम कहना चाहते हैं कि अगर आपके मित्र अथवा परिवार के लोग आपसे रूठ जाते हैं तो आपको उन्हें मनाना चाहिए भले ही ऐसा सौ बार क्यों ना हो। क्योंकि रहीम का मानना यह है कि अगर मोतियों की माला टूट जाती है तो उन्हें ऐसे ही फेंक नहीं देना चाहिए बल्कि उसे बार-बार जोड़ना चाहिए क्योंकि मोतियों का महत्व तभी है जब वह माला में पिरोई गई हो।
यहां पर ध्यान देने वाली बात यह है कि रहीम ने सुजन शब्द का प्रयोग किया है। इसका मतलब यह है कि अगर आपके मित्र अथवा परिवार के लोग सुजन है मतलब अच्छे लोग हैं तभी आपको उन्हें मनाने का प्रयास करना चाहिए क्योंकि ऐसे लोग बहुत कम है आज की दुनिया में जो आपके लिए अच्छा सोचते हैं। और अगर आपके पास इस प्रकार के लोग मौजूद हैं तो आप कौन हैं अपने से दूर नहीं होने देना चाहिए बल्कि अगर कभी ऐसा हो भी तो आपको उन्हें मनाने का प्रयास करना चाहिए और अपने से जोड़ कर रखना चाहिए।
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इस दोहे का महत्व
अगर गौर से देखा जाए तो आज के जमाने में इस दोहे का महत्व बहुत बढ़ जाता है। क्योंकि आज के जमाने में अच्छे लोगों को ढूंढना बहुत मुश्किल है, आज समाज में बुराइयां इस तरीके से व्याप्त हो गई है कि हर एक व्यक्ति बहुत सारी बुराइयों से ग्रस्त है और वह इस हालत में है ही नहीं कि वह किसी के बारे में अच्छा सोच सके या फिर कुछ अच्छा कर सके।
इसलिए
अगर आपके परिवार में या फिर आपके मित्र की मंडली में इस प्रकार के लोग मौजूद हैं जो आपके लिए अच्छा सोचते हैं और आपको कदम कदम पर सहारा देते हैं तो आपको ऐसे लोगों को हमेशा अपने पास रखना चाहिए और जो बंद पढ़ सके वह करना चाहिए ताकि वह आपसे दूर ना हो। क्योंकि अगर वह आपकी जगह होते तो भी वह यही करते वह आपको अपने से दूर नहीं करते और आपको बार-बार मनाने का प्रयास करते।
इसलिए इस दोहे का महत्व बहुत ज्यादा है और लेखक का मानना यह है कि हर एक व्यक्ति को इसका महत्व समझना चाहिए। तभी एक अच्छे समाज का निर्माण संभव है। आशा है आपको यह लेख पसंद आया होगा और रहीम के दोहे से बहुत कुछ सीखने को मिला होगा, आप नीचे कमेंट में हमें लिखकर बता सकते हैं कि आपने क्या सीखा और आप इसका प्रयोग किस तरीके से करने वाले हैं।