संबंधवाचक सर्वनाम की परिभाषा, पहचान और उदाहरण

आज के इस लेख में हम संबंधवाचक सर्वनाम की परिभाषा, पहचान और उदाहरण सहित संपूर्ण जानकारी प्राप्त करेंगे।

सबसे पहले हम यह जान लेते हैं कि सर्वनाम क्या होता है और उसके भेद कितने होते हैं। सर्वनाम वह शब्द होते हैं जो संख्या के स्थान पर प्रयोग किए जाते हैं, इस के 6 भेद होते हैं जिनके नाम हैं पुरुषवाचक, निश्चयवाचक, अनिश्चयवाचक, प्रश्नवाचक, निजवाचक तथा संबंधवाचक।

पिछले लेख में हमने अध्ययन किया था अनिश्चयवाचक सर्वनाम क्या होता है तथा इसकी पहचान कैसे की जाती है।

आज संबंधवाचक के बारे में अध्ययन करेंगे तथा हर एक महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करेंगे।

संबंधवाचक सर्वनाम

परिभाषा:- जिस सर्वनाम का प्रयोग परस्पर एक-दूसरी बात का संबंध बताने के लिए किया जाता है उन्हें हम संबंधवाचक सर्वनाम कहते हैं।

आसान शब्दों में कहें तो जब दो शब्दों का प्रयोग करके दो वाक्यों को जोड़ा जाए तो वहां पर संबंधवाचक का प्रयोग होता है।

उदाहरण के लिए

१. जिस विद्यार्थी लगन के साथ पढ़ेगा वह एक दिन सफल व्यक्ति जरूर बनेगा।

इस उदाहरण में आप देख सकते हैं कि जिस और वह शब्द गाढ़े काले रंग में लिखे हैं।

ऐसा इसलिए है क्योंकि इस वाक्य में जिस और वह शब्द परस्पर संबंध का बोध करा रहे हैं। यहां पर एक विद्यार्थी की बात हो रही है जिसके बारे में कहा जा रहा है कि अगर वह लगन के साथ पढ़ता है तो एक दिन सफल व्यक्ति बनेगा, यहां पर दोनों बातें एक दूसरे के ऊपर आधारित है कि अगर वह है मन लगाकर पढ़ेगा तभी वह सफल हो पाएगा।

इसीलिए यहां पर संबंधवाचक सर्वनाम का प्रयोग हुआ है

२. तुम जैसा करोगे वैसा भरोगे

३. जो पहले दौड़ जीतेगा वह इनाम का हकदार होगा।

४. जिसकी लाठी उसकी भैंस।

५. मैं जैसा कहूंगा वैसा ही तुम करोगे।

हमने पांच उदाहरण पढ़े और सभी में आपने एक बात सामान्य देखी होगी की सभी में दो शब्द का इस्तेमाल किया गया है। और दोनों शब्द उन वाक्यों को इस प्रकार जोड़ते हैं जैसे कि दोनों शब्दों के बगैर वह वाक्य अधूरा होता एवं यह भी ज्ञात होता है कि दोनों एक दूसरे का परस्पर संबंध बताते हैं।

पहचान

इसका पहचान करना बहुत सरल है। जब भी दो शब्द आपको परस्पर संबंध का बोध कराते हुए दिखे आप वहां पर समझ जाएं कि संबंधवाचक का प्रयोग हुआ है।

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निष्कर्ष

आज हमने पढ़ा कि संबंधवाचक सर्वनाम क्या होता है तथा इसकी पहचान कैसे की जाती है और इसके हमने बहुत सारे उदाहरण भी पढ़ें। जिन वाक्यों में संबंधवाचक का प्रयोग होता है उसमें यह देखा जाता है कि सामान्यता दो शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है और उन दोनों शब्द की खासियत होती है कि वह एक दूसरे का परस्पर बोध कराते हैं।

आशा है आप को संबंधवाचक के बारे में संपूर्ण ज्ञान हो गया होगा तथा आपको अब किसी प्रकार की परेशानी नहीं होगी। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा तो अन्य विद्यार्थियों के साथ हमारी वेबसाइट को जरुर शेयर करें तथा अगर आपके मन में कोई सवाल या फिर सुझाव है तो आप हमें नीचे कमेंट बॉक्स में बता सकते हैं।

हम आप तक जरूर पहुंचेंगे तथा आपकी बात का मान रखा जाएगा।

 

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