रहिमन धागा प्रेम का दोहे का अर्थ एवं व्याख्या

रहिमन धागा प्रेम का, मत तोरो चटकाय । टूटे पे फिर ना जुरे, जुरे गाँठ परी जाय ।। दोहे की रचना करने वाले का नाम = रहीम रहिमन धागा प्रेम का दोहे का व्याख्या इस दोहे के माध्यम से रहीम कहना चाहते हैं कि हमें प्रेम के संबंध नहीं तोड़ना चाहिए क्योंकि एक बार ऐसा होने … Read more

रूठे सुजन मनाइए दोहे की व्याख्या ( रहीम के दोहे )

रूठे सुजन मनाइए, जो रूठे सौ बार। रहिमन फिरि-फिर पोहिए, टूटे मुक्ताहार॥ शब्दार्थ सुजन = अच्छे लोग पोहिए = जोड़िए इस दोहे की रचना करने वाले = रहीम रूठे सुजन मनाइए दोहे की व्याख्या यह दोहा रहीम द्वारा निर्मित है। इस दोहे के माध्यम से रहीम कहना चाहते हैं कि अगर आपके मित्र अथवा परिवार के लोग आपसे … Read more

कस्तूरी कुंडल बसे दोहे का अर्थ एवं व्याख्या

कस्तूरी कुंडल बसे मृग ढ़ूँढ़ै बन माहि। ऐसे घटी-घटी राम हैं दुनिया जानत नाँहि॥ शब्दार्थ कस्तूरी = सुगन्धित द्रव्य कुंडली = नाभि बसे = बसना, रहना, व्याप्त बन – वन, जंगल घटी-घटी = कण-कण इस दोहे की रचना कबीर दास जी ने की है। कस्तूरी कुंडल बसे दोहे का व्याख्या इस दोहे के माध्यम से … Read more

ऐसी वाणी बोलिए ( अर्थ एवं व्याख्या ) संत कबीर दास के दोहे

दोहा:-ऐसी वाणी बोलिए, मन का आपा खोये। औरन को शीतल करें, आपहुं शीतल होएं।। शब्दार्थ शीतल – ठंडा आपहुं – स्वयं आपा – गुस्सा वाणी – वचन यह दोहा कबीर दास द्वारा लिखा गया है। ऐसी वाणी बोलिए दोहा का व्याख्या व्याख्या:- इस दोहे के माध्यम से कबीर दास कहना चाहते हैं कि मनुष्य को ऐसी वाणी बोलनी चाहिए … Read more

जो रहीम उत्तम प्रकृति का अर्थ एवं व्याख्या

आज के इस लेख में रहीम का एक दोहा जो रहीम उत्तम प्रकृति …… का व्याख्या सहित विश्लेषण करेंगे तथा यह भी समझेंगे कि इस दोहे में विशेष क्या है। जो रहीम उत्तम प्रकृति, का करि सकत कुसंग। चंदन विष व्यापत नहीं, लिपटे रहत भुजंग॥ शब्दार्थ कुसंग का अर्थ है कुसंगति ( गलत संगति ) … Read more