क्रिया की परिभाषा, भेद और उदाहरण

आज के इस लेख में हम क्रिया की परिभाषा, भेद और उदाहरण का अध्ययन करेंगे और इस विषय को बारीकी से समझेंगे।

यह व्याकरण का एक महत्वपूर्ण अंग है तथा इससे जुड़े सवाल परीक्षा में जरूर आते हैं और इनमें अंक प्राप्त करना इतना सरल भी नहीं होता क्योंकि विद्यार्थी अकर्मक और सकर्मक क्रिया में भेद नहीं कर पाते और इस कारण उन्हें इस विषय में बहुत दिक्कत का सामना करना पड़ता है। परंतु आज के इस लेख में आपको सभी प्रकार की जानकारी प्राप्त होगी इसके बाद आपको अकर्मक और सकर्मक दोनों को पहचानने में किसी प्रकार की परेशानी नहीं होगी और क्रिया विषय में अच्छे अंक प्राप्त कर सकते हैं।

क्रिया की परिभाषा :- कोई भी ऐसा शब्द अथवा शब्द समूह जिसके द्वारा हमें किसी कार्य के होने का बोध होता है उसे हम क्रिया कहते हैं। 

कुछ उदाहरण

१. किसान खेत में हल चला रहा है। 

२. विद्यार्थी पुस्तक पढ़ रहा है। 

३. मैं एक पुस्तक की रचना कर रहा हूं। 

४. कबूतर उड़ रहा है। 

यहां पर जो भी शब्द गाढ़े काले अक्षर में लिखे हैं उन सभी शब्दों से हमें यह प्रतीत होता है कि कुछ कार्य हो रहा है। जिसके कारण यह सभी सख्त हमें क्रिया का बोध कराते हैं।

क्रिया के भेद

इसके मुख्यतः तीन भेद हैं जिनके नाम है – अकर्मक , सकर्मक, तथा द्विकर्मक क्रिया।

१. अकर्मक क्रिया

परिभाषा :- जिन क्रियाओं का फल सीधा करता पर ही पड़े वह अकर्मक क्रिया कहलाती है। ऐसे क्रिया शब्दों को कर्म की आवश्यकता नहीं होती।

आसान शब्दों में कहें तो जब भी किसी वाक्य में मूल अर्थ करने वाले पर टीका हो, वहां पर अकर्मक क्रिया का प्रयोग होता है।

कुछ उदाहरण

१. मोहन जाता है।

इस वाक्य में ध्यान से देखिए, यहां पर जो जाता शब्द है उसका फल सीधा कर्ता मोहन पर पड़ रहा है, इसलिए यह अकर्मक है।

२. सोहन भागता है।

३. बिल्ली कूदती है।

४. हाथी बैठता है।

अब हम पढ़ेंगे सकर्मक क्रिया के बारे में।

पहचान

अगर सरल भाषा में कहा जाए तो जहां पर भी आपको ऐसा प्रतीत हो कि वाक्य का सारा भार उस वाक्य में उपस्थित व्यक्ति पर पड़ रहा है तो वहां पर अकर्मक का इस्तेमाल हुआ है। इसकी दूसरी पहचान है कि आपको इसमें कर्म का प्रयोग होता हुआ नहीं दिखाई देगा जिसके कारण वाक्य छोटा भी होता है।

 

२. सकर्मक क्रिया

परिभाषा :- जिन क्रियाओं का फल करता को छोड़कर कर्म पर पड़ता है वह सकर्मक क्रिया कहलाती है। अकर्मक क्रिया के विपरीत यहां पर कर्म का होना आवश्यक है।

कुछ उदाहरण

१. राहुल पुस्तक लिखता है

इस उदाहरण में ध्यान से देखिए, इसमें लिखता है क्रिया का फल पुस्तक पर पड़ रहा है जो कि कर्म है इसलिए यहां पर सकर्मक क्रिया का प्रयोग हुआ है। क्योंकि इसमें सारा फल कर्म पर पड़ता है करता पर नहीं।

२. सरिता फूल तोड़ रही है। 

३. रमेश भोजन कर रहा है। 

४. मनोहर बाजार से फल लाता है

अब हम पढ़ेंगे द्विकर्मक क्रिया के बारे में।

पहचान

अकर्मक से बिल्कुल उल्टा यहां पर सारा भार वाक्य में उपस्थित व्यक्ति पर ना पड़के कर्म पर पड़ता है तो वहां पर सकर्मक का इस्तेमाल होता है। दूसरा तरीका पहचानने का यह भी है कि इसमें बाद के थोड़े बड़े होते हैं। और इसमें कर्ता अर्थात करने वाले व्यक्ति पर कोई भार नहीं होता।

३. द्विकर्मक क्रिया

परिभाषा :- जिन क्रियाओं के दो कर्म होते हैं उन्हें द्विकर्मक क्रिया कहा जाता है। 

कुछ उदाहरण

१. मैंने राजेश को सलाह दी।

इस वाक्य को ध्यान से देखिए, आपको यहां पर समझ में आएगा कि देना क्रिया के दो कर्म है जिसके कारण यहां पर द्विकर्मक क्रिया का प्रयोग हुआ है।

२. रोहन ने मोहन को बहुत सारे रुपए दिए।

३. सीता ने गीता को पुस्तक दी।

४. किसान बेलों को खेत में ले जाता है।

पहचान

इसका पहचान करना सबसे सरल है क्योंकि इसमें आपको बस यह पहचानना है कि किसी वाक्य में दो कर्म उपस्थित है या नहीं। क्योंकि जब भी किसी क्रिया के दो कर्म होंगे तो वहां पर द्विकर्मक का इस्तेमाल होगा। इसमें को शब्द का ज्यादा प्रयोग होता है।

 

प्रयोग की दृष्टि से क्रिया के भेद

प्रयोग की दृष्टि से क्रिया के पांच भेद हैं जिन्हें हम एक-एक करके बारीकी से समझेंगे

१. सामान्य क्रिया

जिस वाक्य में केवल एक क्रिया का प्रयोग होता है वह सामान्य क्रिया कहलाती है

जैसे कि

१. वह गया

२. तुम आए

इन दोनों उदाहरण में आप आप देख सकते हैं कि वाक्य बहुत छोटे हैं तथा इसमें सिर्फ एक क्रिया का प्रयोग हुआ है जैसे कि पहले वाले में गया और दूसरे उदाहरण में आए।

इसकी पहचान सबसे सरल है क्योंकि इसमें वाक्य छोटे होते हैं तथा इसमें मात्र एक कार्य के होने का बोध होता है। इसलिए इसे सामान्य कहा गया है क्योंकि इसमें किसी प्रकार की मिलावट नहीं है।

२. संयुक्त

जिस वाक्य में दो अथवा अधिक क्रियाओं का साथ साथ प्रयोग होता है वह संयुक्त क्रिया कहलाते हैं।

जैसे कि

१. उसका शरीफ ऊर्जा से भर गया। 

इस वाक्य में आप देख सकते हैं कि दो क्रिया का प्रयोग हुआ है – भर और गया।

२. रोहन रामायण पढ़ने लगा। 

३. वह व्यक्ति खाना खा चुका। 

४. वह लड़का दिल्ली से डर गया। 

पहचान

इसका पहचान करना सरल है क्योंकि आपको किसी भी वाक्य में बस इतना पहचानना है कि वहां पर दो कार्य के होने का बोध हो रहा है कि नहीं। जब भी कहीं पर आपको दो कार्य होने को सूचित करने वाले शब्द एक साथ दिखाई दे तो आप वहां पर आसानी से समझ सकते हैं कि संयुक्त क्रिया का प्रयोग हुआ है।

३. नामधातु

जो क्रियापद संज्ञा, सर्वनाम, या फिर विशेषण शब्द से बने होते हैं नामधातु क्रिया कहलाते हैं।

जैसे कि

शर्माना, हथियाना, बचकाना, अपनाना आदि शब्द।

४. प्रेरणार्थक क्रिया

जिस क्रिया से पता चले कि कर्ता स्वयं कार्य को ना करके किसी अन्य को उस कार्य को करने की प्रेरणा देता है वह प्रेरणार्थक क्रिया कहलाती है

तथा ऐसी क्रियाओं के दो करता होते हैं – १. प्रेरक कर्ता ( जिसे हम प्रेरणा प्रदान करने वाला भी कह सकते हैं ) २. प्रेरित कर्ता ( प्रेरणा लेने वाला )

उदाहरण के लिए

१. रोहन मोहन से पुस्तक लिखवाता है।

इस उदाहरण को ध्यान से देखिए यहां पर असल में जो व्यक्ति काम कर रहा है वह मोहन है परंतु जो उसको प्रेरणा दे रहा है पुस्तक लिखने के लिए वह रोहन है इसलिए यहां पर प्रेरणार्थक क्रिया का प्रयोग हुआ है।

२. सरिता कुसुम से फल मंगवाती है।

३. रमेश माली से अपने पौधों में पानी डलवाता है।

४. सीता गीता से गीत सुनवाती है।

५. सुरेश अपने बच्चे से बांसुरी बजवाता है।

पहचान

इसका पहचान करना बहुत सरल है जहां पर भी आपको कोई व्यक्ति प्रेरणा लेता हुआ दिखाई दे वहां पर आप समझ सकते हैं कि प्रेरणार्थक का प्रयोग हुआ है। प्रेरणा बहुत तरीके से दी जा सकती है जैसे कि कोई व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से जबरदस्ती काम करवाता है, या फिर उसके गले के लिए काम करवाता है, या फिर अपने भले के लिए काम करवाता है, या वह दूसरे व्यक्ति का मात्र भर भी प्रयोग लेता है तो वह 1 तरीके की प्रेरणा दे रहा है।

पूर्वकालिक

किसी क्रिया से पूर्व यदि कोई दूसरी क्रिया प्रयुक्त हो तो वह पूर्वकालिक क्रिया कहलाती है।

उदाहरण के लिए

१. वह अभी खाकर उठा है।

२. मोहन अभी सोकर उठा है।

३. वह दौड़ते ही गिर गया।

पहचान

अगर सरल भाषा में इसे पहचानने की कोशिश की जाए तो यहां पर साफ देखा जा सकता है कि इन वाक्य में दो कार्य के होने का बोध होता है जिसमें से एक कार्य पहले होता है और दूसरा उसके बाद जो एक दूसरे के ऊपर निर्भर है। जैसे कि आप पहले उदाहरण में देख सकते हैं कि जो व्यक्ति है वह पहले खा रहा था और उसके बाद वह उठा।

यह भी पढ़ें

सर्वनाम की परिभाषा, भेद, और उदाहरण

पुरुषवाचक सर्वनाम

निश्चयवाचक सर्वनाम

अनिश्चयवाचक सर्वनाम

संबंधवाचक सर्वनाम

प्रश्नवाचक सर्वनाम

निजवाचक सर्वनाम

संज्ञा की परिभाषा, भेद, और उदाहरण

व्यक्तिवाचक संज्ञा

भाववाचक संज्ञा

जातिवाचक संज्ञा

 

निष्कर्ष

इस लेख में हमने क्रिया की संपूर्ण जानकारी हासिल की। हमने पहले इसकी परिभाषा पढ़ी और यह जाना कि यह वह शब्द होते हैं जो एक वाक्य में किसी कार्य के होने को दर्शाते हैं।

उसके बाद हमने इसके भेद भी पढ़े और यह जाना कि इसके मुख्यतः तीन भेद होते हैं जिनके नाम है अकर्मक, सकर्मक तथा द्विकर्मक। इसके बाद हमने प्रयोग के आधार पर भी इसके भेद देखें जिनके नाम है – सामान्य, संयुक्त, नामधातु, प्रेरणार्थक, पूर्वकालिक।

सभी प्रकार को हमने बारीकी से समझा तथा सभी के उदाहरण भी पढ़े जिससे सभी विषय को समझने में आसानी महसूस हुई तथा हमने यह समझा की पहचान कैसे की जाती है।

अगर आपको क्रिया विषय पर लिखा गया यह लेख अच्छा लगा हो तो अपने मित्रों के साथ जरूर शेयर करिए तथा इस पोस्ट के नीचे अपना कॉमेंट लिखें जिसमें आप अपने राय दे सकते हैं यह बता सकते हैं कि यहां पर और क्या जोड़ा जाना चाहिए। आप अपने सवाल पूछ सकते हैं हम उनका जवाब जल्दी से जल्दी देने का प्रयास करेंगे।

Leave a Comment